दर्द गैरों को सुनाने की ज़रूरत क्या हैदर्द गैरों को सुनाने की ज़रूरत क्या है, अपने साथ औरों को रुलाने की ज़रूरत क्या हैवक्त यूँ ही कम है मोहब्बत के लिए, रूठकर वक्त गंवाने की ज़रूरत क्या है